🌙 Ghazal/Zindagi Aur Mushkilen} – Best Hindi Urdu Shayari 🌙
غزل "زندگی اور مُشکلیں"
لگ رہی زندگی آج مشکل بڑی
کیا کروں، کیا کہوں، جان پہ آ پڑی
زندگی! اب بتا، تُو ہی مسئلے کا حل
بےقراری، بےچینی ہے,اب ہر گھڑی
ٹھوکریں کھا کے بھی سنبھلتا نہیں
کیا سے کیا بن گیا آج کا آدمی
غم کے طوفان میں ڈوبتا جا رہا
تیری رحمت سے ہوگی، راہیں اُجالا
زندگی کی مشکلات چاہے کتنی ہی بڑی کیوں نہ ہوں، اگر انسان صبر اور توکل کے ساتھ اللہ کی رحمت کا سہارا لے تو اندھیروں میں بھی روشنی کی کرن مل جاتی ہے۔ محبؔ کی یہ غزل اسی یقین کی ترجمان ہے، جس میں غم اور تنہائی کے باوجود اُمید اور دعا کا دامن نہیں چھوڑا گیا۔
یہ غزل ہمیں سکھاتی ہے کہ مایوسی کا راستہ بند ہے اور رحمت کا در ہمیشہ کھلا ہے۔ مشکلات میں ٹوٹنے کے بجائے، انسان کو اللہ کی طرف رجوع کرنا چاہیے، کیونکہ وہی ہے جو دلوں کے حال جانتا ہے اور وہی ہے جو ہر مصیبت کا اصل حل دیتا ہے۔Read This: Zindagi ki Haqeeqat par Ek Nazm Maa ki aangan se Qabar tak bas
✨ ग़ज़ल शायरी |ज़िंदगी और मुश्किलें| Best Hindi Urdu Ghazal & Poetry Collection✨
ज़िन्दगी हर इंसान के लिए एक अनोखी दास्तान है। इसमें कभी ख़ुशियों के रंग होते हैं, तो कभी ग़म के तूफ़ान। कभी राहें आसान लगती हैं, तो कभी मुश्किलों का अंधेरा इंसान को घेर लेता है। ऐसे हालात में दिल को सुकून देने वाला सबसे बड़ा सहारा सिर्फ़ अल्लाह की रहमत और करम होता है।
इस ग़ज़ल “Zindagi Aur Mushkilen” में इंसानी जज़्बात की वही झलक दिखाई देती है, जहाँ थकावट, मायूसी और बेचारगी के बावजूद एक उम्मीद और भरोसा ज़िन्दा रहता है। मोहिब ने इस ग़ज़ल में दर्द और हक़ीक़त को बयान करते हुए दिल की गहराईयों से निकले अशआर को अल्फ़ाज़ दिए हैं।
यह ग़ज़ल Zindagi Aur Mushkilen न सिर्फ़ ज़िन्दगी की तल्ख़ियों को बयाँ करती है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि जब सब दरवाज़े बंद हो जाएँ, तो अल्लाह का दरवाज़ा हमेशा खुला रहता है।
✦ 🌙 Sad Shayari: ज़िंदगी और मुश्किलें 🌙
लग रही ज़िंदगी आज मुश्किल बड़ी
क्या करूँ, क्या कहूँ, जान पे आ पड़ी
ज़िंदगी! अब बता, तू ही मसले का हल
बेकरारी, बेचैनी है, अब हर घड़ी
ठोकरें खा के भी संभलता नहीं
क्या से क्या बन गया आज का आदमी
ग़म के तूफ़ान में डूबता जा रहा
कब छटेगी ग़मों की रात अँधेरी
तेरी रहमत से होंगी, राहें उजाला
अंधेरों में उम्मीद की तू ही रोशनी
🌸 Conclusion (निष्कर्ष) 🌸
ज़िन्दगी की मुश्किलें चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हों, इंसान अगर सब्र और तवक़्क़ुल (भरोसा) के साथ अल्लाह की रहमत का सहारा ले, तो अंधेरे में भी रौशनी की किरण मिल जाती है। मोहिब की यह ग़ज़ल उसी यक़ीन की तर्जुमान है, जिसमें ग़म और तन्हाई के बावजूद उम्मीद और दुआ का दामन नहीं छोड़ा गया।
यह ग़ज़ल हमें सिखाती है कि मायूसी का रास्ता बंद है और रहमत का दरवाज़ा हमेशा खुला है। मुश्किलों में टूटने के बजाय, इंसान को अल्लाह की ओर रूजू करना चाहिए, क्योंकि वही है जो दिलों के हाल जानता है और वही है जो हर मुसिबत का असल हल देता है।
By✒️:Mohib Tahiri